दिल का कोना कभी
ख़ाली ख़ाली सा लगता है.
कभी आबाद ,
कभी वीरान सा लगता है.
क्या वहम है हमारा ?
या
रहने वाला मकान
ख़ाली कर गया?
दिल का कोना कभी
ख़ाली ख़ाली सा लगता है.
कभी आबाद ,
कभी वीरान सा लगता है.
क्या वहम है हमारा ?
या
रहने वाला मकान
ख़ाली कर गया?
रहने वाला मकान खाली कर सकता है पर उसकी यादें ……
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कविता के भाव समझने के लिए दिली आभार.
यादें ही यादें …. ख़ुशियाँ भी देती हैं और तकलीफ़ भी.
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Will you please share the link of your new blog once again as I am unable to reach.
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deepshanti.WordPress.com
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Thanks dear.
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Welcome 😊
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hi deepshanti, isse bhi nhi mila.
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sorry, i got it. thanks
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अपनो को रहने के लिए मकान नहीं घर चाहिए होता है dear अपने दिल के कौने में तलाश करो शायद कही छुपकर बैठा हो
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शुक्रिया गिरिजा इस प्यारे से जवाब के लिए . घर , मकान सब तलाश लिया. नहीं मिला. हाँ दिल के हर कोने में यादों ने ज़रूर घर बना लिया है.
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बहुत हि गहरी पंक्तियाँ है🙏😊
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शुक्रिया , मन की गहराइयों से निकली बातें हैं.
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बस इसी वजह से लोगों के मन की गहराईयों को छु रही है💐😊
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बहुत आभार.
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दिल का ख़ाली कोना तो यादों से ही आबाद होता है रेखा जी । पंकज उदहास जी की गाई हुई मशहूर ग़ज़ल -‘दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है’ का एक शेर है :
दुनिया भर की यादें हमसे मिलने आती हैं
शाम ढले इस सूने घर में मेला लगता है
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बहुत ख़ूब !!!
सही है, यादें हमेशा साथ निभातीं हैं.
बहुत शुक्रिया जितेंद्र जी .
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