हम अपने बारे में क्या सोचते हैं और कैसा सोचते हैं सेल्फ कंसेप्ट कहते हैं। यह सकारात्मक या नकारात्मक हो सकता है। अब्राहम मस्लो के अनुसार हमारा मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहने के लिए, यह जरूरी है कि हम अपने को स्वीकार करें अौर प्यार करें। इससे हम आत्मसम्मानी, आत्मविश्वासी व आशावादी बनते हैं। सेल्फ कंसेप्ट का मजबूत होना और सकारात्मक होना अच्छी बात हैं.
कभी अपने भीतर झाँकने की कोशिश की है?
आईने में झाँको , अपने आप को ग़ौर से देखो
अपनी आँखों में , निगाहों में झाँको.
अपने अंदर झाँको, मिलो अपने आप से.
बातें करो अपने आप से .
और बताओ अगर
बिलकुल अपने जैसा कोई मिला
तब कैसा लगेगा आपको ?
मिलना चाहेंगे या नहीं उससे ?
सबसे पहले क्या कहना चाहेंगे ?
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by Rekha Sahay
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मैं अपने चेहरे देखकर हसूंगा और बोलूंगा – जागो बुद्धू कब तक सोते रहोगे।😊
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😂 सोते बहुत हो क्या ?
तुम अपने को पसंद करोगे या नहीं?
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मेरा मतलब जिंदगी में जागने से था।😊
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अच्छा .
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बहुत सुंदर बात कही है आपने रेखा जी !
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आभार नीरज।
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Nice poem. We must peek occasionally inside our own self.
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Thank you Abhijit ji.
Psychology and spirituality both say this . we should look / peek inside ourselves.
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औरों को देखने मे मसगुल कभी खुद को देखने का फुर्सत ही नही। आज समय मिला तो अपनो से जुड़ने में लग गया।
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आज की व्यस्त दुनिया में ऐसा ही होता है. लेकिन अच्छा हो अगर हम अपने लिए भी वक़्त निकालें और अपने साथ कुछ पल बिताए .
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