ज़िन्दगी के रंग – 148 (मसाई मारा )

मसाई मारा, केन्या,अफ़्रीका के यात्रा के दौरान देखी एक सच्ची दिल को छूने वाली घटना पर आधारित ।

Rate this:

देखा था एक तकती माँ को तपती धूप में ,

अफ़्रीका के जंगलो में जहाँ मौत और

ज़िन्दगी के बीच कितना फ़ासला है कोई नहीं जानता .

तब नहीं मालूम था  जल्द जीवन का कठोरतम सत्य भी देखना है।

 

वहाँ देखा था बड़ीबड़ी, मासूम आँखों वाली

मंजुल,  मासूम, नाज़ुक सी गजेल हिरणी को

सुनहरी घास में दमकती स्वर्ण सी

मातृत्व  प्रेम से अोतप्रोत

क्या ऐसे हीं सौंदर्य ने मोहा था वनवासी सिया को?

अौर भेज दिया था उन्होंने राम को उसके पीछे?

 

 

अौर तभी कुछ पल पहले दुनिया में आया नवजात,

  कुछ पल में शिकार हो गया लोमड़ी जोड़े का,

नोचे, मृत छौने को चाटतीडबडबाई  आँखेंभय,

 मोह, फिर से पाने की चाह मेंज़बरदस्ती खड़ा करने की कोशिश में,

अपने प्राणों की चिंता किए बिना

कभी पास आते लोमड़ियों से बिना ङरे  दूर भगाती,

कभी बच्चे के पास कर भी ना आती, सहमी पर

निर्भय हो क्रूर, अपने से मजबूत  अौर शक्तिशाली

 दुश्मन को दूरदूर तक दौङाती हिरणी.

आँखे आँसू से भर बंद हों गए,

कुछ बुँदें छलक गिर आईं भय से कस कर बंद  मुट्ठियों पर   

यह ह्रदयविदारक दृश्य देखना कठिन था

पर  मौत पर कथन था गाइड काआप भाग्यशाली है

क्योंकि मसाई मारा में ऐसे दृश्य के गवाह कम हीं होते हैं!

शायद धीरे धीरे मौत की सच्चाई समझ आने लगी थी

लाचार माँ को , थोड़ी दूर दूर थी वह अब बच्चे से …….

देखा था एक तकती माँ को

उसकी बड़ीबड़ी डबडबाई  आँखें  को !

अौर देखा शिकारियों को भी माँ के जाने का इंतज़ार करते…….

अफ़्रीकामसाई मारा के जंगलो में जहाँ

 देखे कई रंग ज़िन्दगी के…….

 

 

7 thoughts on “ज़िन्दगी के रंग – 148 (मसाई मारा )

    1. जब मैं इस trip पर गई , ऐसे किसी दृश्य की उम्मीद नहीं थी. पर यही है जंगल का जीवन .

      Liked by 1 person

  1. जंगल का जीवन ऐसा ही है जिस पर नजर नही जाती मगर मगर जब जाती है रूह कांप जाती है।सत्य और दिल को झकझोरनेवाली लेखनी साथ ही माँ अनमोल है।

    Like

    1. बिलकुल सही कहा। नजरों के सामने यह सब देखना बङा मार्मिक था।
      thank you.

      Like

Leave a comment