फीयर ऑफ मिसिंग आउट या फोमो एक नाकारात्मक मनोवैज्ञानिक स्थिति है। यह एक सोशल एंजाइटी है। यह लोगों से जुड़े रहने की इच्छा है। इससे अकेले छुटने का “अफसोस या डर भी कहा जा सकता है
लोगों के साथ जुड़ना या संबंध रखना मनुष्य का आवश्यक व्यवहार अौर मनोवैज्ञानिक आवश्यकता है। जो लोगों के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को साकारात्मक रुप से प्रभावित करता है। पर आज के आधुनिक युग में नए और आधुनिक संचार साधनों के आने से इसका रूप बदल चुका है। एक तरफ ऑनलाइन /इंटरनेट और विभिन्न साधनों जैसे मोबाइल फोन, स्मार्टफोन, कंप्यूटर, लैपटॉप आदि सुविधाएं और सामाजिक नेटवर्क जैसे फेसबुक टिवटर हमारे जीवन में शामिल होने से बहुत से अद्भुत और अनूठे अवसर मेरी जिंदगी में शामिल हो गए हैं।
इनकी अच्छाइयों के साथ साथ इनकी कुछ सीमाएं भी है। यह समझना जरूरी है। इनके अत्यधिक इस्तेमाल से एक ऐसी स्थिति आती है। जिससे इन पर मनोवैज्ञानिक निर्भरता से चिंता या एंजाइटी जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है अौर इन से डिस्कनेक्ट होकर रहने पर बहुत लोगों में एक ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जिसके परिणाम स्वरूप मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है । जो कुछ लोगों के मूड अौर मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने लगता है। जिससे एंजाइटी, मानसिक तनाव जैसी बातें व्यक्तित्व में आने लगती हैं।
अतः जरूरत है, इन चीजों का उपयोग एक सीमा तक अपनी समझदारी से किया जाए।
Excess of everything is bad.
अति सर्वत्र वर्जयेत् ।।
Chanaky / चाणक्य
Reblogged this on The Shubham Stories.
LikeLiked by 1 person
Thank you.
LikeLike