कविताओं के भीड़ में

अपनी कविताओं के भीड़ में

बैठ अजनबियों सा उन्हें देखा .

सब की सब हाथ पकड़ कर

यादों की अलियों -गलियों,

वीथिकाओं में लें चलीं.

कहने लगीं –

दरिया-ए-दुःख में ना डूबो,

यही है ज़िंदगी .

सच यह है कि-

तुमसे हम हैं…….

पर एक एक सच यह भी है कि-

हम है , इसलिए तुम हो .

बस हम दोनों एक दूसरे को

थामे रहे ……

यह जिंदगानी अच्छी कट जाएगी.

image- Chandni Sahay

17 thoughts on “कविताओं के भीड़ में

  1. Waah…..kyaa khub shabdon kaa ulatpher kiya hai…..behtarin lekhan….

    सच यह है कि-

    तुमसे हम हैं…….

    पर एक एक सच यह भी है कि-

    हम है , इसलिए तुम हो .

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