हम झगड़ रहे हैं
नारीवाद , पुरुषवाद ले कर .
एलजीबीटीक्यु ……….तीसरे जेंडर के बारे में
सोचने का अवकाश कहाँ था ?
वो कैसे लोग थे ?
जिन्होंने ……
उन्हें अलग नहीं समझा .
अयोध्या के बाहर चौदह वर्षों तक
इंतज़ार में खड़े किन्नरों
को शुभता का राम ने वरदान दिया .
कैसे लोग थे ?
जिन्होंने ……
वृहनल्ला , शिखंडी , मोहिनी- इरावन.
बुध और उनकी पत्नी इरा , राजा नल जैसों
को उस काल में अलग नज़र से नहीं देखा .
आज आधुनिक और वैज्ञानिक
कहलाने वाले लोग
बड़े काम करने के बजाय
इन छोटी बातों
को तूल क्यों देते हैं ?
किसी को समानता का दर्जा
देने में इतना भेद भाव क्यों ?
कि न्याय देने के लिए क़ानून बनाना पड़ा.
जीवन के सारे रंगो से भरी दुनिया में ,
सब तो उसी ईश्वर की रचना है
जो स्वयं अर्ध नारीश्वर कहलाता हैं.
फिर रंगो से भेदभाव कैसा ??
Topic by-
#IndiSpire239
Supreme court verdict is out.IPC Section 377 has been decriminalized.History owes an apology to LGBTQ community. But many religious and political institutions are still against this. What do you think?
Image courtesy- google
आज के समय के हिसाब से एक ज़रूरी रचना!
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धन्यवाद नीरज !! जब ईश्वर का अर्ध नारीश्वर रूप यह दर्शाता है कि हम सब में नर-नारी दोनो के गुण मौजूद हैं , फिर भी इतना झगड़ा क्यों ?
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बहुत अच्छा लिखा आपने ।।
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बहुत शुक्रिया अलका। हम अपने आप को superior मानते हैं अौर दूसरों को अपने से कम। पर यह निर्णय आया कहाँ से? जबकी सभी तो ईश्वर की रचना हैं।
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Well written piece. The distinctions in this regard came with the British. As you have rightly pointed out, everyone coexisted harmoniously in the ancient India.
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Thank you . Very true, there wasn’t any law or rule regulations earlier but still they respected each other.
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बहुत सारगर्भित रचना
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बहुत आभार !
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Nice
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Thank you 😊
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बिल्कुल सही
नर और नारी समझे
तो जीवन स्वर्ग से कम नही
अच्छी रचना
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मनोविज्ञान के अनुसार भी हर व्यक्ति में पुरुष और महिला / masculine-feminine गुण अलग अलग मात्रा में मौजूद होते हैं, जो व्यवहार को प्रभावित करते हैं.
इसलिए ऐसे में सहनशीलता होनी चाहिए सभी तरह के लोगों के विचारों को समझने का ना कि controversy का .
धन्यवाद .
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यदि ज्ञान के उजाले की जगह वहां अंधियारा पसरा हो और जीवन लोभ लालसा भेदभाव के लिए जीया जाता हो वहां इस तरह की पावन विचार जन्म नही ले पाता मनोविज्ञान भी अध्यात्म का एक हिस्सा है
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बिलकुल , योग -आध्यात्म का विश्व गुरु कहलाने वाले भारत में ऐसी बातों पर लोग चर्चा कर रहे हैं जो यहाँ controversy का विषय हीं नहीं था .
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बहुत अच्छी रचना
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धन्यवाद .
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आपने मेरे मैसेज का जवाब नहीं दिया
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दिया है .
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Pl check
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ओके।
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