धूप सेंकते मोटे अजगर सी
बल खाती ये काली अनंत
अंतहीन सड़कें
लगतीं है ज़िंदगी सी ……
ना जाने किस मोड़ पर
कौन सी ख़्वाहिश
मिल जाए .
कभी ज़िंदगी को ख़ुशनुमा बनाए
और कभी उन्हें पूरा करने का
अरमान बोझ बढ़ाए .
धूप सेंकते मोटे अजगर सी
बल खाती ये काली अनंत
अंतहीन सड़कें
लगतीं है ज़िंदगी सी ……
ना जाने किस मोड़ पर
कौन सी ख़्वाहिश
मिल जाए .
कभी ज़िंदगी को ख़ुशनुमा बनाए
और कभी उन्हें पूरा करने का
अरमान बोझ बढ़ाए .
Ye sadak ki phylosophy kaafi majedaar hai..
Aapne sadak aur hamare jindgi ko ik sath badi khubsurati se bayan kia hai
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thank you 🙂 Raj, kya sadak zindagi si nahi ?
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बिल्कुल सही लिखा है।जिंदगी है कब हंसाये कौन जाने कब रुलाए।
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बहुत आभार आपका .
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Excellent!❤
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Thank you 😊
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Beautiful words
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Thank you ☺️
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