जिंदगी के रंग -67

साँसे चले …समय गुजरता रहे बस …..

क्या यही है ज़िंदगी?

ना मक़सद …. ना ख़्वाब ……

हसीन तोहफ़ा है यह ज़िंदगी.

थोड़ी तमन्ना, अभिलाषा, लालसा

 लक्ष्य…. मकसद मिला कर 

गुनगुनाइये…..

राहें खुलती जायेंगीं।

 

7 thoughts on “जिंदगी के रंग -67

  1. बिलकुल ठीक बात कही है रेखा जी आपने । फ़िल्म ‘रॉक ऑन’ का गीत याद दिला दिया आपने :

    आँखों में जिसके कोई तो ख़्वाब है
    ख़ुश है वही जो थोड़ा बेताब है
    ज़िन्दगी में कोई आरज़ू कीजिये
    फिर देखिये

    होठों पे जिसके कोई तो गीत है
    वो हारे भी तो उसकी ही जीत है
    दिल में जो गीत है, गुनगुना लीजिये
    फिर देखिये

    यादों में जिसके किसी का नाम है
    सपनों के जैसी उसकी हर शाम है
    कोई तो हो जिसे अपना दिल दीजिये
    फिर देखिये

    ख़्वाब बुनिये ज़रा
    गीत सुनिये ज़रा
    फूल चुनिये ज़रा
    फिर देखिये

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    1. बहुत ख़ूबसूरत गीत है .
      सचमुच अद्भुत साम्य है मेरी कविता और इस गीत में. आपकी जानकारी व याददाश्त भी प्रशंसनीय है.
      बहुत आभार जितेंद्र जी .

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