शायद यह अमर शहीद अशफ़ाक़-उल्लाह ख़ान का शेर है । दिल को छू गया । इससे परिचित करवाने के लिए आभार आपका रेखा जी । इस पर प्रसिद्ध शायर डॉ॰ कुँवर बेचैन जी की एक ग़ज़ल मुझे याद आ गई जिसकी शुरूआत इस प्रकार है (यद्यपि संदर्भ अशफ़ाक़ साहब के शेर से भिन्न है) : ‘माना कि मुश्किलों का तेरी हल नहीं कुँवर, फिर भी तू ग़म की आग में यूँ जल नहीं कुँवर, कोई-न-कोई रोज़ ही करता है ख़ुदकुशी, क्या बात है कि झील में हलचल नहीं कुँवर’ ।
मुझे भी यह शेर बहुत मार्मिक पर खूबसूरत लगी। इस लिये शेयर किया। चिराग की आखरी तेज़, भभक कर जलने वाली लौ की अर्थपुर्ण शायरी लाजवाब है।
आपने डॉ॰ कुँवर बेचैन जी की बङी सुंदर ग़ज़ल की चर्चा की है। आपका आभार।
Waah…bahut khub.
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aabhar Madhusudan.
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Kyaa baat …..bahut khub likha hai.
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Dhanyvad.
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शायद यह अमर शहीद अशफ़ाक़-उल्लाह ख़ान का शेर है । दिल को छू गया । इससे परिचित करवाने के लिए आभार आपका रेखा जी । इस पर प्रसिद्ध शायर डॉ॰ कुँवर बेचैन जी की एक ग़ज़ल मुझे याद आ गई जिसकी शुरूआत इस प्रकार है (यद्यपि संदर्भ अशफ़ाक़ साहब के शेर से भिन्न है) : ‘माना कि मुश्किलों का तेरी हल नहीं कुँवर, फिर भी तू ग़म की आग में यूँ जल नहीं कुँवर, कोई-न-कोई रोज़ ही करता है ख़ुदकुशी, क्या बात है कि झील में हलचल नहीं कुँवर’ ।
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मुझे भी यह शेर बहुत मार्मिक पर खूबसूरत लगी। इस लिये शेयर किया। चिराग की आखरी तेज़, भभक कर जलने वाली लौ की अर्थपुर्ण शायरी लाजवाब है।
आपने डॉ॰ कुँवर बेचैन जी की बङी सुंदर ग़ज़ल की चर्चा की है। आपका आभार।
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Dhanyawad sir…Par ye likhawat is nacheez ki hai… ASHFAQ ULLAH KHAN SABAB se compare ho hi nahi sakta.. thanks a lot for appreciation
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Oh ! Hearty thanks for enlightening and compliments for this extra-ordinary creation.
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yes, beautiful expression.
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Thanks a lot.. Rekha mam.. It’s so kind of u… thanks for appreciation..!!
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WC Ashu.😊
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Its so beautiful
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thanks a lot. I loved it too.
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