आसमान के बादल

आसमान के बादलों से पूछा –

कैसे तुम मृदू- मीठे हो..

जन्म ले नमकीन सागर से?

रूई के फाहे सा उङता बादल,

मेरे गालों को सहलाता उङ चला गगन की अोर

अौर हँस कर बोला – बङा सरल है यह तो।

बस समुद्र के खारे नमक को मैंने लिया हीं नहीं अपने साथ।

18 thoughts on “आसमान के बादल

  1. बड़ी पुरानी फ़िल्म ‘पैसे की गुड़िया’ (1974) का किशोर कुमार जी द्वारा गया गया एक गीत याद दिला दिया आपने – ‘मेरी बात के माने दो; जो अच्छा लगे, उसे अपना लो; जो बुरा लगे, उसे जाने दो’ ।

    Liked by 1 person

  2. chanchal hai hawaon sang udta….
    kabhi asmaan ko apni agosh me dhakta,
    phir bhi kitna samajhdar khare samundra se ke jal se bana…
    khud men mithe jal bhara……….
    matlab …
    sikhna ho to badal se sikho
    namak se saath rah,
    chini si mithas bharo,
    bahut khub.

    Liked by 1 person

    1. कविता की तारीफ में उससे भी सुंदर कविता !!!! बहुत सुंदर , आपका असीम आभार।

      Like

Leave a comment