अोस नहीं अश्क

गगन से झुक कर पूछा चाँद ने

क्यों आँसू बहा रहे हो?

सामना करो कठिनाईयों का

किसी को फिक्र नहीं तुम्हारे  अश्रुयों की । 

लोग इन पर कदम रखते गुजर जायेंगें।

क्योकिं

जिन पर तुम्हारे कदम पङे हैं

वे अोस नहीं मेरे अश्क हैं।

16 thoughts on “अोस नहीं अश्क

Leave a comment