कुछ हँस कर, कुछ रो कर झेलते हैं।
दुःख सहने का अपना- अपना तरीका होता है।
क्या अच्छा हो, गर आँखों में आँसू पर होंठों पर मुस्कान हो।
Image from internet.
कुछ हँस कर, कुछ रो कर झेलते हैं।
दुःख सहने का अपना- अपना तरीका होता है।
क्या अच्छा हो, गर आँखों में आँसू पर होंठों पर मुस्कान हो।
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बहुत ही अच्छा लिखा है और सोच भी नया है।
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शुक्रिया रजनी जी.
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बहुत खूब
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शुक्रिया !
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😦
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जिन लोगों को ईश्वर ने जरूरत से ज्यादा सहनशीलता दी होती है, अक्सर उनके साथ यही होता है।
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हाँ , यह बात सही है. पर परिवार और समाज नारी को सहनशीलता का पाठ पढाता है, अपने हक के लिये लड़नेवाली नारी बनने की सीख देने के बदले.
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बहुत खूब👌👌
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धन्यवाद 😊😊
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Very nice
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Thanks 😊
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Welcome
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वाह
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आभार .
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