ईश्वर की खोज में 2 -कविता In search of GOD-Poem

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मैं

इंसानियत में बसता हूं

और लोग मुझे मजहबों में ढूंढते हैं।

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16 thoughts on “ईश्वर की खोज में 2 -कविता In search of GOD-Poem

  1. ढूंढने दीजिये जहां ढूंढेंगे वहीँ मिल जाएंगे भगवान्———वैसे भी वे कहाँ नहीं है हम में तुम में खड्ग खम्भ में सब में हैं भगवान् ——-

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  2. इंसानियत में बसता हूं

    और लोग मुझे मजहबों में ढूंढते हैं।

    बेहद उम्दा मुबारक हो

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  3. सच, ईश्वर सर्वस्व है, इंसानियत में, इंसानों में, नाम में, भाव में, रौशनी और अँधेरे में हर जगह, वह मौजूद है

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