ईश्वर की खोज में 2 -कविता In search of GOD-Poem March 28, 2017June 6, 2018 Rekha Sahay मैं इंसानियत में बसता हूं और लोग मुझे मजहबों में ढूंढते हैं। Image courtesy internet. Rate this:Share this:FacebookMorePinterestTumblrLinkedInPocketRedditTwitterTelegramLike Loading... Related
ढूंढने दीजिये जहां ढूंढेंगे वहीँ मिल जाएंगे भगवान्———वैसे भी वे कहाँ नहीं है हम में तुम में खड्ग खम्भ में सब में हैं भगवान् ——- LikeLiked by 1 person Reply
इंसानियत में बसता हूं और लोग मुझे मजहबों में ढूंढते हैं। बेहद उम्दा मुबारक हो LikeLiked by 1 person Reply
सच, ईश्वर सर्वस्व है, इंसानियत में, इंसानों में, नाम में, भाव में, रौशनी और अँधेरे में हर जगह, वह मौजूद है LikeLiked by 1 person Reply
बस यही बात लोग कहाँ समझतें हैं ?
सराहनीय और मार्गदर्शक पोस्ट 👍
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बहुत धन्यवाद अजय.
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Amazing lines
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Thanks a lot.
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ढूंढने दीजिये जहां ढूंढेंगे वहीँ मिल जाएंगे भगवान्———वैसे भी वे कहाँ नहीं है हम में तुम में खड्ग खम्भ में सब में हैं भगवान् ——-
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बिलकुल ठीक कहा आपने. धन्यवाद !!
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Wah wah
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Thanks a lot.😊
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You are welcome. 🙂
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Waah..! 👏
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thank you
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इंसानियत में बसता हूं
और लोग मुझे मजहबों में ढूंढते हैं।
बेहद उम्दा मुबारक हो
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शुक्रिया. 😊😊
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सच, ईश्वर सर्वस्व है, इंसानियत में, इंसानों में, नाम में, भाव में, रौशनी और अँधेरे में हर जगह, वह मौजूद है
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Thank you .
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