Auto suggestion – A process by which an individual may train subconscious mind for self- improvement.
यह एक मनोवैज्ञानिक तकनीक है. आत्म प्रेरित सुझाव विचारों, भावनाओं और व्यवहारोँ को प्रभावित करता हैँ. किसी बात को बारबार दोहरा कर अपने व्यवहार को सुधारा जा सकता है.
अपनी कमियाँ और परेशानियाँ हम सभी को दुखी करती हैँ. हम सभी इस में बदलाव या सुधार चाह्ते हैँ और जीवन मेँ सफलता चाहतेँ हैँ. किसी आदत को बदलना हो, बीमारी को नियंत्रित करने में अक्षम महसुस करतेँ होँ, परीक्षा या साक्षात्कार में सफलता चाह्तेँ हैँ. पर आत्मविश्वास की कमी हो.
ऐसे मेँ अगर पुर्ण विश्वास से मन की चाह्त निरंतर मन हीँ मन दोहराया जाये. या अपने आप से बार-बार कहा जाये. तब आप स्व- प्रेरित संकल्प शक्ति से अपनी कामना काफी हद तक पुर्ण कर सकतेँ हैँ और अपना व्यवहार सुधार सकते हैँ। जैसे बार-बार अपनी बुरी आदत बदलने, साकारात्मक विचार, साक्षात्कार मेँ सफल होने, की बात दोहराया जाये तब सफलता की सम्भावना बढ़ जाती है.
ऐसा कैसे होता है?
हमारा अवचेतन मन बहुत शक्तिशाली है. बार बार बातोँ को दोहरा कर अचेतन मन की सहायता से व्यवहार मेँ परिवर्तन सम्भव है. साकारात्मक सोच दिमाग और शरीर दोनों को प्रोत्साहित करतेँ हैँ. इच्छाशक्ति, कल्पना शक्ति तथा सकारात्मक विचार सम्मिलित रुप से काम करते हैँ. पर यह ध्यान रखना जरुरी है कि हम अवस्तविक कामना ना रखेँ और इन्हेँ लम्बे समय तक प्रयास जारी रखेँ.
images from internet.
It is true repeatedly saying it will indeed make it happen
It works.
Also people are afraid to ask others about anything – favor or request or a question or a discount. They assume that asking will be of no use. It is also a very basic implicit behaviour among many.
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Yes Subhash , this is a psychological technique also
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This technique is also know as self hypnosis.
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very motivating n inspirational
I agree with the each bits!
self motivation and optimism is must.
otherwise life bcoms tuff
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Thanks a lot.
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मैं आपके दृष्टिकोण से सहमत हूँ रेखा जी । हम संसार को नहीं बदल सकते, केवल स्वयं को बदल सकते हैं । सेल्फ़-टाक अर्थात् अपने भीतर के व्यक्तित्व से वार्तालाप इसमें बहुत सहायक सिद्ध होता है क्योंकि इसका प्रभाव अवचेतन पर पड़ता है जो कालांतर में परिलक्षित होता है । अपने मन का अंधेरा दूर करने के लिए अपना दीपक स्वयं ही बनना पड़ता है, बाहर के प्रकाश से काम नहीं चलता । स्वयं को सुधार लिया जाए तो भाग्य भी अपने आप ही सुधरने लगता है ।
जितेन्द्र माथुर
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आपने बहुत खूबसूरत और सही बातें लिखी हैं. आपको मनोविज्ञान की अच्छी जानकारी हैं. आप को पोस्ट पसंद आया , जान कर खुशी हुई. ऐसे ही अपने विचार मुझे भेजते रहिये. बहुत धन्यवाद.
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